जब कभी ग़ज़ल की बात हो और आपके दिमाग़ और ज़बान पर जगजीत सिंह साहब का ज़िक्र ना आए ऐसा नहीं हो सकता | शायद ही कोई ऐसा शख़्स हो जो ग़ज़ल तो सुनता हो मगर उसने जगजीत सिंह साहब को न सुना हो| जगजीत सिंह जी का जन्म राजस्थान में हुआ जबकि उनकी पारीवारिक पृष्ठभूमि पंजाबी थी | जगजीत सिंह जी ने उच्च शिक्षा हरयाणा के एक कॉलेज से प्राप्त की | जिस पर विस्तार से हम आगे चर्चा करेंगे |
जगजीत सिंह जी ने अपनी आवाज़ और गायकी से संगीत की दुनिया में विशेष जगह बनाई है | जगजीत सिंह जी के चाहने वाले केवल भारत में ही नहीं बल्की दुनिया भर में हैं | जगजीत सिंह जी ने दुनियाभर में ग़ज़ल लाइव कॉंसर्ट किए | चाहे उनको लाइव कॉंसर्ट में सुना जाए या रिकार्डेड गानों में उनकी आवाज़ का जादू कभी काम नहीं होता | जगजीत सिंह जी को जब कभी भी सुनो तो सुनने पर कानों में रास सा घुल जाता है |
जगजीत सिंह जी ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे | बहुत सी कठिनाइयों को सामना करते हुए वक़्त के तूफानों से लड़ते हुए जगजीत सिंह जी ने अपने जीवन में वो मुक़ाम हासिल किया है जहाँ आज हम उन्हें देखते हैं | जगजीत सिंह जी संगीत की ग़ज़ल विधा में संगीत के विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श हैं |
वास्तविक नाम | जगजीत सिंह धीमान |
उपनाम | द गजल किंग |
क़द | 5’10 फीट |
आँखों का रंग | भूरा |
बालों का रंग | काला |
जन्मतिथि | 8 फरवरी 1941 |
मृत्यु तिथि | 10 अक्टूबर 2011 |
जगजीत सिंह के पिता का नाम | सरदार अमर सिंह धीमान |
जगजीत सिंह की माता का नाम | बच्चन कौर |
आयु | 70 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिन्दू |
शैक्षिक योग्यता | इतिहास में स्नातकोत्तर |
विद्यालय | खालसा हाई स्कूल और गवर्नमेंट कॉलेज |
कॉलेज | हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातकोत्तर |
कुल बच्चे | दो, एक लड़का और एक लड़की(सौतेली) |
बहन-भाई | चार- बहन और दो भाई |
मूल निवास स्थान | श्री गंगानगर राजस्थान |
कुल संपत्ति (Net Worth) | 5-6 करोड़ भारतीय रुपए |
जगजीत सिंह जी का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान राज्य के शहर श्री गंगानगर में हुआ | जगजीत सिंह जी की पारीवारिक पृष्ठभूमि एक पंजाबी परिवार की है | जन्म के समय इनका नाम जगमोहन रखा गया था मगर पिता जी के गुरु के परामर्श पर इनका नाम बदल कर जगजीत सिंह रख दिया गया| जगजीत सिंह जी ने अपने बचपन के सुनहरे पल राजस्थान में ही गुज़ारे | उनके द्वारा गाई गई एक नज़्म जो की बहुत मशहूर हुई ” वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी ” में उनका अपने बचपन को शिद्दत से याद करना बड़ी सहजता से देखा जा सकता है | जिसमे एक पंक्ति आती है कि – “कभी रेत के ऊँचे टीलों पे जाना , घरोंदे बना , बनाकर मिटाना ” में जैसे सब कुछ जीवंत हो उठा है |
जगजीत सिंह जी की प्रारम्भिक शिक्षा खालसा हाई स्कूल और गवर्नमेंट कॉलेज प्राप्त की | जगजीत सिंह जी ने कला में अपनी सनातक की उपाधि डीएवी कॉलेज से प्राप्त की | इतिहास के विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की | जगजीत सिंह जी ने अपने पिता के कहने पर पढ़ाई को जारी रखा क्यूंकि उनके पिता उनको इंजीनियर बनाना चाहते थे | मगर जगजीत सिंह का मन केवल संगीत में ही रहता था | क्यूंकि जगजीत सिंह अपने बचपन में 2 वर्ष पंड़ित छगन लाल शर्मा के सान्निध्य में रहे और संगीत की शिक्षा भी ली | ततपश्चात जगजीत सिंह ने सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखना शुरू किया | फिर जगजीत सिंह जी की संगीत में ऐसी धुन रमी के संगीत ने जगजीत सिंह को जीत लिया और जगजीत सिंह जी ने अपने पिता और आगे चल कर दुनिया का दिल जीत लिया | जगजीत सिंह ने अपने नाम को खूब निभाया |
जगजीत सिंह जी ने पिता जी के कहने पर अपनी शिक्षा को पूरा तो किया मगर मन ना लगने पर उन्होंने बतौर करियर संगीत ही को चुना | अपने संगीत और गायकी के सपने को पूरा करने के लिए जगजीत सिंह ने पंडित छगनलाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान साहब से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी| कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही वहाँ तब के कुलपति प्रोफेसर सूरजभान जी ने जगजीत सिंह की संगीत के प्रति रुचि को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया | जगजीत सिंह ने वर्ष 1961 ऑल इंडिया रेडियो , जालंधर स्टेशन में काम भी किया | इसी का फायदा उठाते हुए कई गाने लिखे और गाए | वर्ष 1962 में जगजीत सिंह जी ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के स्वागत के लिए एक गाना भी लिखा था| फिर प्रोफेसर सूरजभान जी के परामर्श पर जगजीत सिंह वर्ष 1965 में मुंबई आ गए |
जगजीत सिंह जी एक अच्छी आवाज़, संगीत की अच्छी शिक्षा और ऑल इंडिया रेडियो में काम करने बाद बहुत से अनुभवों के साथ मुंबई आए थे | मगर बॉलीवुड में काम मिलना इतना आसान नहीं था क्यूंकि कोई उनका वहां पर जानता नहीं था | तब जगजीत सिंह जी ने विज्ञापन एजेंसी के लिए जिंगल्स गाकर मुंबई में किसी तरह अपना गुज़ारा किया | धीरे धीरे जगजीत सिंह के संपर्क बनने लगे और उन्हें काम भी मिलने लगा | इसी दौरान उनकी मुलाक़ात उनकी भविष्य में उनकी होने वाली पत्नी चित्रा जी से हुई | गायन में दोनों की जोड़ी को खूब सराहा गया | जगजीत सिंह ने खुछ एलबम्स रिकॉर्ड कराई जो बहुत सराही गई | धीरे धीरे उनको बॉलीवुड से भी काम मिलना शुरू हो गया | दुश्मन, तुम बिन, अर्थ, साथ-साथ, प्रेम कथा, सरफरोश आदि फिल्मों में उनकी गज़लें खूब हिट रही |
वर्ष 1998 | मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर सम्मान |
वर्ष 1998 | राजस्थान सरकार द्वारा साहित्य कला अकादमी पुरस्कार |
वर्ष 2003 | पद्म भूषण |
वर्ष 2005 | दिल्ली सरकार द्वारा गालिब अकादमी पुरस्कार |
वर्ष 2012 | “राजस्थान रत्न” (राजस्थान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) मरणोपरांत |
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