फारुख शेख को अभिनय के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उनका अधिकतर योगदान पैरलल सिनेमा में माना जाता है। वह कई दिग्गज निर्देशकों जैसे कि सत्यजीत रे, साईं परांजपे , मुजफ्फर अली, ऋषिकेश मुखर्जी और केतन मेहता के साथ काम कर चुके हैं। फारुख शेख ने वर्ष 1974 में आई एमएस सथ्यू द्वारा निर्देशित फिल्म गरम हवा से हिंदी सिनेमा में पदार्पण किया था। वर्ष 1977 में आए फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। वर्ष 1979 में आए फिल्म नूरी ने फारुख शेख ने बतौर मुख्य अभिनेता युसूफ फकीर मोहम्मद की भूमिका निभाई थी। फारुख शेख को मुख्य पहचान वर्ष 1981 में आई रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म चश्मे बद्दूर से प्राप्त हुई थी। फारूक शेख हिंदी सिनेमा में 40 वर्षों का लंबा सफर तय किया। उनकी अंतिम फिल्म वर्ष 2014 में चिल्ड्रन ऑफ वॉर थी। 28 दिसंबर 2013 को दुबई में हृदयाघात के कारण फारुख शेख का देहांत हो गया था।
फारुख शेख का जन्म 25 मार्च 1948 को गुजरात के वडोदरा शहर से 90 किलोमीटर दूर गांव अमरोली में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम मुस्तफा से और माता का नाम फरीदा था। इनके पिता मुंबई में वकालत का काम किया करते थे जो गुजरात के भरुच से आय थे। फारुख शेख जमींदार परिवार से संबंध रखते हैं। इनका पालन-पोषण नागपाड़ा के आलीशान परिवेश में हुआ। पांच भाई बहनों में यह सबसे बड़े हैं।
फारुख शेख की स्कूली शिक्षा सेंट मैरी स्कूल मजगांव मुंबई से हुई। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई में दाखिला ले लिया। जहां से इन्होंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। स्नातक की शिक्षा पूर्व करने के पश्चात इन्होंने कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ मुंबई में दाखिला ले लिया ताकि यह अपने पिता के काम और नाम को आगे बढ़ा सकें।
कॉलेज के दिनों से ही फारुख शेख थिएटर करने लगे थे और यहीं पर उनकी पहली मुलाकात रूपा से हुई थी। जो बाद में आगे चलकर उनकी पत्नी बन गई। इसी सेंट जेवियर्स कॉलेज में शबाना आज़मी, सुनील गावस्कर उनके दोस्त बने।
वास्तविक नाम | फारुख शेख |
फारुख शेख का जन्मदिन | 25 मार्च 1948 |
फारुख शेख की आयु | 65 वर्ष |
फारुख शेख की मृत्यु तिथि | 28 दिसंबर 2013 |
फारुख शेख का जन्म स्थान | गांव अमरोली, वडोदरा गुजरात |
फारुख शेख का मूल निवास स्थान | गांव अमरोली, वडोदरा गुजरात |
फारुख शेख का मृत्यु स्थान | दुबई |
फारुख शेख की राष्ट्रीयता | भारतीय |
फारुख शेख का धर्म | इस्लाम |
फारुख शेख की शैक्षणिक योग्यता | स्नातक |
फारुख शेख के स्कूल का नाम | सेंट मैरी स्कूल मुंबई |
फारुख शेख के कॉलेज का नाम | सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई |
फारुख शेख का व्यवसाय | अभिनेता |
फारुख शेख की कुल संपत्ति | 32 करोड़ रूपए के लगभग |
फारुख शेख की वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
फारुख शेख की लंबाई | 5 फुट 8 इंच |
फारुख शेख का वजन | 70 किलोग्राम |
फारुख शेख का शारीरिक माप | छाती 40 इंच, कमर 34 इंच, बाइसेप्स 13 इंच |
फारुख शेख की आंखों का रंग | गहरा भूरा |
फारुख शेख के बालों का रंग | काला |
फारुख शेख के पिता का नाम | मुस्तफा शेख |
फारुख शेख की माता का नाम | फरीदा शेख |
फारुख शेख की पत्नी का नाम | रूपा शेख |
फारुख शेख की बेटियों के नाम | रुबीना शेख, शाइस्ता शेख , सना शेख |
फारुख शेख कुछ समय तक इंडियन पीपल थियेटर एसोसिएशन के साथ काम करते रहे। उसके पश्चात उन्होंने वर्ष 1973 में एमएस सथ्यू द्वारा निर्देशित गर्म हवा फिल्म से हिंदी सिनेमा में पदार्पण किया था। इस फिल्म के मुख्य अभिनेता बलराज साहनी थे। अपनी पहली फिल्म के लिए फारुख शेख को ₹750 फीस दी गई थी। वर्ष 1978 में आई मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित फिल्म गमन में फारूक शेख और स्मिता पाटिल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में उन्होंने एक प्रवासी मुंबई टैक्सी ड्राइवर का किरदार निभाया था। वर्ष 1977 में सत्यजीत रहे द्वारा निर्देशित मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित शतरंज के खिलाड़ी में भी फारुख शेख के अभिनय को खूब सराहा गया।
फारुख शेख को वर्ष 1979 नूरी, वर्ष 1981 चश्मे बद्दूर, वर्ष 1981 उमराव जान, वर्ष 1982 बाजार, वर्ष 1982 साथ साथ , वर्ष 1983 रंग बिरंगी, वर्ष 1983 किसी से ना कहना, वर्ष 1983 एक बार चले आओ, वर्ष 1984 अब आएगा मजा, वर्ष 1985 सलमा, वर्ष 1985 फासले, वर्ष 1986 पीछा करो, वर्ष 1988 बीवी हो तो ऐसी, और वर्ष 1993 माया मेमसाब जैसी सुपरहिट फिल्मों से खूब लोकप्रियता हासिल हुई।
फिल्म का नाम | वर्ष | फिल्म का नाम | वर्ष |
गर्म हवा | 1974 | मेरे साथ चल | 1974 |
शतरंज के खिलाड़ी | 1977 | गमन | 1978 |
नूरी | 1979 | चश्मे बद्दूर | 1981 |
साथ साथ | 1982 | बाजार | 1982 |
रंग बिरंगी | 1983 | किसी से ना कहना | 1983 |
एक बार चले आओ | 1983 | कथा | 1983 |
अब आएगा मजा | 1984 | लाखों की बात | 1984 |
पास चले | 1985 | सलमा | 1985 |
मेरे साथ चल | 1986 | अंजुमन | 1986 |
खेल मोहब्बत का | 1986 | सूरमा भोपाली | 1988 |
बीवी हो तो ऐसी | 1988 | तूफान | 1989 |
गुंजन | 1992 | माया मेमसाब | 1993 |
मेरा दामाद | 1995 | अब इंसाफ होगा | 1995 |
मोहब्बत | 1997 | सास बहू और सेंसेक्स | 2008 |
लाहौर | 2010 | टेल मी ओ खुदा | 2011 |
शंघाई | 2012 | यह जवानी है दीवानी | 2013 |
लिसन अमाया | 2013 | क्लब 60 | 2013 |
यंगिस्तान | 2014 | चिल्ड्रन ऑफ वॉर | 2014 |
फारुख शेख ने वर्ष 1987 में चंद्रकांत उपाध्याय के उपन्यास पर आधारित धारावाहिक श्रीकांत में मुख्य भूमिका निभाई। यह धारावाहिक डीडी नेशनल पर प्रसारित किया जाता था। इसके पश्चात वर्ष 1995 में उन्होंने सोनी टेलीविजन पर प्रसारित किए जाने वाले धारावाहिक चमत्कार में भी प्रेम की भूमिका निभाई थी। टेलीविजन धारावाहिक में फारुख शेख को मुख्य तौर पर जी टीवी पर प्रसारित किए जाने वाले जीना इसी का नाम है से याद किया जाता है।
फारुख शेख अपने परिवार के साथ दुबई में छुट्टियां मनाने गए हुए थे तब 28 दिसंबर 2013 को हृदयाघात के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव शव को दुबई से मुंबई लाया गया। उनके पार्थिव शरीर को 30 दिसंबर 2013 की शाम के समय मिल्लत नगर अंधेरी के कब्रिस्तान में दफना दिया गया। इनके कब्र इनकी माता के कब्र के पास ही बनाई गई।
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